Meerapur SHO Pistol Video: यूपी उपचुनाव के दिन बुधवार को मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर हिंसा और विवाद के कई वीडियो वायरल हुए. इनमें से सबसे ज्यादा चर्चित वीडियो ककरौली गांव के एक पुलिस अधिकारी का था. जिसमें वह हाथ में पिस्टल लिए हुए दिखाई दे रहे थे और महिलाओं को गोली मारने की धमकी दे रहे थे. यह वीडियो समाजवादी पार्टी और उनके नेता अखिलेश यादव द्वारा ट्वीट किया गया, जिसमें SHO के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की गई.
वीडियो का अनएडिटेड वर्जन सामने आया
अखिलेश यादव ने जो वीडियो शेयर किया, उसमें केवल पुलिसवाले द्वारा पिस्तौल ताने जाने की दृश्य दिखाए गए थे. लेकिन वीडियो का एक और अनएडिटेड वर्जन सामने आया, जो ज़ी न्यूज के पास एक्सक्लूसिव था. इस वीडियो में साफ नजर आता है कि पुलिसवाले पर पहले पत्थरबाजी की गई थी, जिसके बाद उन्होंने पिस्तौल तानी थी.
ज़ी न्यूज का एक्सक्लूसिव वीडियो
ज़ी न्यूज ने मीरापुर की हिंसा का अनएडिटेड वीडियो जारी किया, जिसमें पुलिसवालों पर पत्थरबाजी की जाती दिख रही है. पुलिसवालों के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर फेंके जा रहे थे और एक पुलिसवाला पत्थर उठाकर खुद को बचाने की कोशिश करता है. इसके बाद पुलिसवाले ने अपने बचाव में पिस्तौल निकाली और महिलाओं को शांतिपूर्वक वापस जाने को कहा.
पत्थरबाजी का सच
इस अनएडिटेड वीडियो से यह स्पष्ट होता है कि पुलिसवालों पर पहले पत्थर फेंके गए थे और फिर उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए पिस्तौल तानी. अखिलेश यादव ने जो वीडियो शेयर किया था, उसमें पत्थरबाजी का कोई जिक्र नहीं था. केवल पिस्तौल तानने की घटना को ही प्रमुखता दी गई थी.
मुस्लिम मतदाताओं को वोट से रोकने का आरोप
मीरापुर हिंसा के संबंध में एक और बड़ा आरोप सामने आया है, जिसमें कहा जा रहा था कि पुलिस ने मुस्लिम मतदाताओं को वोट डालने से रोका. इस आरोप को लेकर ज़ी न्यूज की टीम ने ककरौली गांव जाकर मौके पर फैक्ट चेक किया और रिपोर्ट तैयार की, जिसमें पुलिस ने इस आरोप को नकारा है.
पुलिस का बयान और समाजवादी पार्टी का विरोध
मुजफ्फरनगर पुलिस का कहना है कि पुलिस ने किसी भी मतदाता को वोट करने से नहीं रोका. हालांकि, समाजवादी पार्टी इस बयान को मानने को तैयार नहीं है और उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मीरापुर विधानसभा सीट के 52 बूथों पर पुनः मतदान की मांग की है.
समाजवादी पार्टी की चुनाव आयोग को चिट्ठी
समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि चुनाव में धांधली हुई है और मुस्लिम मतदाताओं को निशाना बनाकर उनका वोट डालने से रोका गया. पार्टी ने चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की और मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के 52 मतदान केंद्रों पर दोबारा चुनाव कराए जाने की अपील की है.
मीरापुर हिंसा की राजनीतिक और सामाजिक परतें
मीरापुर में हुए इस बवाल ने केवल चुनावी माहौल को ही प्रभावित नहीं किया, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन गया. इसके साथ ही यह घटनाक्रम समाज में बढ़ती धार्मिक और राजनीतिक विभाजन की ओर भी इशारा करता है, जिस पर अब सभी की नजरें हैं.
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